Uttrakhand Tunnel Rescue : 17 दोनों के बाद सभी मजदूरों को कैसे निकाले गए , कैसे बीता 17 दिन जाने खौफनाक मंजर उत्तराखंड

Uttrakhand Tunnel Rescue : नमस्कार दोस्तों जैसे कि आप लोगों को पता होगा कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थान में भारत निर्माण के लिए टनल निर्माण का कार्य चल रहा था। जहां पर बहुत सारे मजदूर टनल निर्माण में लगे हुए थे यह टनल निर्माण हिमालय पर्वत पर हो रही थी।

यह टनल चार धामों को जोड़ने के लिए बनाए जा रहे है ताकि पहाड़ों के रास्ते को जाने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा था जिससे चार धाम की यात्रा आसान हो जाए। इसलिए यह टनल को बनाने का कार्य किया जा रहा है।

जब हम दिवाली आराम से घर में मना रहे थे तब यह मजदूर अपना टनल निर्माण के कार्य पर लगे हुए थे तभी अचानक 12 नवंबर की यह बात है सुबह 4:00 मालवा गिरना शुरू हुआ और 5:30 तक में गेट से 200 मीटर अंदर तक मालवा जमा हो गया जिसमें इसमें वह सभी मजदूर अंदर ही फंस गए थे। जब बाद में पता चला तो इस या हादसा तब तक निकलने का रास्ता जाम हो चुकी थी और वह सभी लोगों अंदर ही फंस गए थे पहले तो कुछ-कुछ लोगों को पता चला था लेकिन बाद में पता चला कि अंदर 41 मजदूर फंसे हुए थे।

जब वहां पर एनडीआरएफ के टीम तथा बचाव कर्मी जो वहां पर आए उन्होंने नए-नए आइडिया निकले कि कैसे इन लोगों को निकाला जाए तब तक अंदर सभी मजदूर भूखे प्यासे थे । बिना पानी बिना खाने के अंदर ही थे आप लोग सोच सकते हैं कि यह घड़ी कितने भयानक थी उन लोगों ने कैसे अपने आप को कंट्रोल किया संयम रखा की कैसे हम निकल यहां से और अपने आप को मजबूत रख सके उन लोगों को ड्रिल करके बहुत ही मेहनत से मशीनों के द्वारा खाना पहुंचाया गया ।40 घंटे के बाद उन सबको लिक्विड फूड बोतल में भर के उन मजदूरों तक पहुंचाया गया।

इस रेस्क्यू के दौरान बहुत सारे मशीनों का उपयोग किया गया जिसमें सारे लगभग फेल हो गए किसी ने आधा काम करके बीच में अटक गए किसी के अंदर पत्थर आ गए तो बहुत सारे सामना करना पड़ा इसलिए यहां पर 17 दिनों की समय लग गया लगभग 400 घंटे के बाद उन मजदूरों को निकाला गया।

इनमें से एक मशीन काफी चर्चा में है जिसका नाम है अगर मशीन। वह अगर मशीन जिसकी उपयोग करके ड्रिल करके फूड उन लोगों के पास पहुंचाया गया। अंत में यह भी फेल हो गया यह भी नहीं कर पाए।

Uttrakhand Tunnel Rescue : इस रेस्क्यू के लिए PMO का हस्तक्षेप

जब यह हादसा पीएमओ तक गई तो पीएमओ के वहां के चीफ मजदूरों के मदद के लिए आगे आए और उन्होंने बहुत सारे मशीनों की मुहैया कराया और निरंतर उनका जायजा लेते रहा। और उन मजदूरों से संवाद स्थापित किया ताकि उनको टेंशन ना हो इस तरह वह बात करके हिम्मत रखने के लिए कहा गया कि हम लोग मेहनत कर रहे हैं आप लोग को जरूर निकालेंगे। शायद यह विश्वास उन मजदूरों की आशा की किरण लेकर आई और वे लोग उसे मार्ग पर चलकर आज सफलतापूर्वक बाहर आ गए हैं।

एक बार सोच कर देखिए रूह कांप जाएगी

आप एक बार उन मजदूरों के जगह पर अपने आप को रख के देखिए। कितना भयानक मंजर होगा चारों ओर से कैद और अंदर में फंसे मजदूर ना उनको खाने की सुविधा न ऑक्सीजन की सुविधा। कैसे वह 17 दिन तक रहे होंगे और कैसे अपने आप को संभाले होंगे उन सभी लोगों की कैसी स्थिति होगी कैसी उन लोगों को ना दिन का पता चलता होगा ना रात का लेकिन एक बात तो मानना पड़ेगा कि मजदूर जितने भी थे काफी साहसी थे और धैर्यवान थे क्योंकि वह अगर धैर्यवान नहीं होते तो कब का हार्ट अटैक आकर मर जाते लेकिन उन लोगों ने हिम्मत नहीं हारी और उन लोगों के जज्बों को सलाम है।

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उन मजदूरों के लिए क्या-क्या सुविधा की गई

सबसे पहले तो मजदूर को खाना पहुंचाई गई और उनको निकालने के लिए जो व्यवस्था की गई वह सारी व्यवस्थाएं हो गई लेकिन बाहर मैं बहुत सारे एंबुलेंस की सुविधा रखी गई थी उनमें से बेड की भी सुविधा की गई थी ताकि किसी भी मजदूर का तबीयत बिगड़ता है तो उनका इलाज बहुत अच्छी तरीके से किया जा सके क्योंकि अंदर ऑक्सीजन की कमी जरूर होगी और बाहर अचानक आएंगे तो उनकी प्रॉब्लम हो सकती है या फिर बहुत तरह के प्रॉब्लम हो सकती है अंदर जब थे तो कुछ लोगों को खान की कमी की वजह से कमजोरी आई थी लेकिन खाना जब भेजी गई तो उनकी हालत लगभग थी।

अंत में उन सभी मंदिरों को सुरक्षित निकाला गया और स्वास्थ्य की सारी सुविधाएं दी गई सर्वप्रथम तो उन्हें माला पहनकर उनका स्वागत किया गया। और उनका हाल-चाल पूछा गया और उनका स्वास्थ्य चेक कराया गया।

दिन में हमारे देश के सभी लगभग मंत्री गण शुभकामनाएं दे रहे हैं

उनमें से हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपने x हैंडल पर लिखा, ‘ उत्तरकाशी में हमारे श्रमिक भाइयों के रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता हर किसी को भाव कर देने वाली है। टनल में जो साथी फंसे हुए थे, उनसे मैं कहना चाहता हूं कि आपका साहस और धैर्य हर किसी को प्रेरित कर रहा है। मैं आप सभी की कुशलता और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।

यह अत्यंत संतोष की बात है कि लंबे इंतजार के बाद अब हमारे यह साथी अपने प्रिय जनों से मिलेंगे। इन साथी के परिजनों ने भी इस चुनौती पूर्ण समय में जिस संयम और साहस का परिचय दिया है, इसकी जितनी भी सराहना की जाए उतनी कम है

मैं इस बचाव से जुड़े सभी लोगों के जज्बे को सलाम करता हूं। उनकी बहादुरी और संकल्प शक्ति ने हमारे श्रमिक भाइयों को नया जीवन दिया है। इस मिशन में शामिल हर किसी ने मानवता और टीम वर्ग की एक मिसाल कायम की है।

देखिए गृह मंत्री नहीं क्या लिखा आपने X हैंडल पर

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