jharkhand news : झारखण्ड में स्थित हजारीबाग वाइल्डलाइफ सेंचुरी में लगभग 44 सालों के बाद बाघ दिखा है. जब वन विभाग के कर्मियों के कैमरे में बाघ की गतिविधियां कैद हुई है तो सभी के सभी हैरान रह गए बात करें इस बाघ की जानकारी की तो वन विभाग के कर्मचारियों को एक माह पहले ही वाइल्डलाइफ सेंचुरी क्षेत्र में बाघ के पद चिन्ह यानी पैरो के निशान मिले थे. इसके बाद से वन विभाग के द्वारा यह तलाश की जा रही थी कि इस क्षेत्र में बाघ आखिर है तो कहां और सैयद बाघ विचरण नहीं कर रहा है.
jharkhand news – स्पेशल टीम का किया गया गठन
इस सेंचुरी में 9 कैमरे भी लगाए गए हैं. लेकिन सबसे अजीब बात यह की उन कैमरों में बाघ की कोई भी गतिविधि कैद नहीं हुई. लेकिन बाघ के पैरो के निशान दिखे जाने के बाद एक स्पेशल टीम गठित की गई थी जो बाघ की गतिविधि पर नजर रखे हुए थी.
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इस स्पेशल टीम के कैमरे में इस बात की पुष्टि हो गई है की ये पैरों के निशान दरसल बाघ के ही है इसके पुष्टि के बाद जिसे लेकर वन विभाग बेहद उत्साहित भी है. एक intrview में वन विभाग के पदाधिकारी ने कहा कि हजारीबाग जो अपने नाम से ही बाग होने की पुष्टि करता है वह अब वास्तविक हो रहा है. हजारीबाग के वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के के घने जंगलों में बाघ मौजूद है जो व्यस्त है वह इस सेंचुरी में भ्रमण कर रहा है.
jharkhand news – DFO अधिकारी ने बताया कैसे पहुंचा इस क्षेत्र में बाघ
वन विभाग के DFO अधिकारी अवनीश कुमार चौधरी ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि ऐसे में बाघ तो छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश क्षेत्र का है। साथ ही इस बात की पुष्टि भी की यह बाघ पलामू टाइगर रिजर्व पहुंचा है जो लावालौंग होते हुए हजारीबाग के वाइल्डलाइफ सेंचुरी में पहुंच गया है । पदाधिकारी का यह भी कहना है कि यह क्षेत्र कनेक्ट पाथ है। लेकिन अत्यधिक क्रियाकलापों की गतिविधियों के कारण जानवरों ने इस रास्ते को छोड़ दिया लेकिन जब से इको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया है तब से एक बार पुनः इस रास्ते को फिर से जंगली जानवरों ने आने-जाने के उपयोग में लाना शुरू किया है शायद इसी का परिणाम है कि मध्य प्रदेश के क्षेत्रों से बाघ हजारीबाग पहुंच गया.
साथ ही आपको बता दूं की हजारीबाग का यह वाइल्डलाइफ सेंचुरी अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए पूरे देश भर में जाना जाता है. यहां बाघ आने से लोगों के मन में भय का भी वातावरण बना हुआ है
jharkhand news – DFO अविनाश कुमार में की अपील रात को घर से न निकले
DFO अविनाश कुमार ने बताया कि डरने या घबराने की कोई बात नहीं है। परंतु उन्होंने वाइल्डलाइफ सेंचुरी में पड़ने वाले 9 गांव के ग्रामीणों से अपील की है कि वे रात के समय में जंगल में इधर-उधर ना जाएं और साथ ही अपने जानवरों को खुले में ना छोड़ें.
हजारीबाग जो काफी हजारों बाघ के लिए जाना जाता था समय बीतने के साथ-साथ इस क्षेत्र से बाघ विलुप्त होते चले गए लेकिन एक बार फिर बाघ मिलने पर पर्यावरणविद् इसे सुखद संदेश बता रहे हैं और यह अंदेशा भी लगाया जा रहा है की बहुत जल्द यहां बाघों की संख्या में इजाफा होगा।
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